
शनिवार व्रत की आरती भगवान शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए गाई जाती है। इस आरती के माध्यम से भक्त अपने जीवन से दुख, संकट और बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।
शनि देव न्याय के देवता हैं, जो कर्म के अनुसार फल प्रदान करते हैं। उनकी आराधना से मनुष्य के जीवन में स्थिरता, सफलता और शांति का संचार होता है।
शनिवार व्रत आरती ~ Shanidev ki Aarti Lyrics
शनिवार व्रत आरती(Shanidev ki Aarti Lyrics):
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव….
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव….
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव….
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
Shanidev ki Aarti Lyrics Usage Tips:
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आरती शनिवार के दिन प्रातः या शाम को करें।
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दीपक तेल का हो और हाथ में या शनि देव के सामने रखा जाए।
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आरती के दौरान भक्तजन मंत्र का जप कर सकते हैं —
“ॐ शं शनैश्चराय नमः”
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शनिवार व्रत आरती का अर्थ
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
अर्थ: हे प्रभु शनिदेव! आप भक्तों के हित करने वाले हैं, उनकी रक्षा और कल्याण करने वाले हैं। आपकी जय हो, आपकी बार-बार वंदना हो।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
अर्थ: आप भगवान सूर्य के पुत्र हैं और आपकी माता का नाम छाया है। हे प्रभु! आप उस दिव्य वंश के गौरव हैं।
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
अर्थ: आपका शरीर श्याम (काले) वर्ण का है, आपकी दृष्टि वक्र (एक ओर झुकी हुई) है, और आपके चार भुजाएँ हैं। यह आपका दिव्य स्वरूप अत्यंत प्रभावशाली है।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
अर्थ: आप नीले वस्त्र धारण करते हैं और एक विशाल गजराज (हाथी) पर सवार रहते हैं। यह आपका राजसी और गंभीर स्वरूप दर्शाता है।
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
अर्थ: आपके सिर पर चमकता हुआ मुकुट (मुकुटमणि) शोभा पा रहा है, जो आपके देव रूप की तेजस्विता को बढ़ा रहा है।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
अर्थ: आपके गले में मोतियों की माला अत्यंत शोभा दे रही है। आपकी उस सुंदरता और तेज पर भक्त बलिहार जाते हैं।
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
अर्थ: आपकी पूजा में मोदक, मिठाई, पान और सुपारी अर्पित की जाती है। ये सभी वस्तुएं आपको अत्यंत प्रिय हैं।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
अर्थ: आपको लोहे की वस्तुएँ, तिल का तेल, उड़द की दाल और भैंस अत्यंत प्रिय हैं। शनिदेव की पूजा में इनका विशेष महत्व है।
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
अर्थ: देवता, दानव, ऋषि, मुनि, मनुष्य — सभी आपको स्मरण करते हैं और आपकी कृपा की कामना करते हैं।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
अर्थ: स्वयं काशी के विश्वनाथ (भगवान शिव) भी आपका ध्यान करते हैं और आपकी शरण में रहते हैं। इससे आपके दिव्य प्रभाव और महिमा का पता चलता है।
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
अर्थ: हे प्रभु शनिदेव! आप सच्चे भक्तों का कल्याण करने वाले हैं, उनकी रक्षा करते हैं और उन्हें न्याय दिलाते हैं। आपकी बार-बार जय हो।
शनिवार व्रत आरती का महत्व
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शनिदेव की आरती करने से शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम होता है।
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यह आरती भक्त के जीवन में संतुलन, न्याय और सुख-समृद्धि लाती है।
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आरती का नियमित पाठ शनि देव को प्रसन्न करता है और जीवन में बाधाओं को दूर करता है।
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आरती के माध्यम से भक्त का ध्यान, भक्ति और निष्ठा बढ़ती है, जिससे उनके कर्मों का शुभ फल प्राप्त होता है।
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शनि देव की आरती करने से व्यक्ति के मन में धैर्य, संयम और मानसिक शक्ति का विकास होता है।
“शनिवार व्रत और शनि पूजा से जीवन में शनि दोष दूर होते हैं और भक्तों पर शनिदेव की असीम कृपा बनी रहती है।”
|| जय शनिदेव ||














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