
Satyanarayan Bhagwan Ki Aarti Lyrics in Hindi: जो भक्त प्रतिदिन सुबह और शाम श्रद्धा भाव से “ॐ जय लक्ष्मी रमणा स्वामी जय लक्ष्मी रमणा” की आरती गाते हैं, उन पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु अपनी विशेष कृपा बरसाते हैं। यदि आप भी अपने परिवार सहित घंटी और शंख बजाते हुए मन लगाकर लक्ष्मी रमणा आरती का गायन करें, तो मां लक्ष्मी और श्री सत्यनारायण भगवान की कृपा से आपका जीवन आनंद, समृद्धि और शुभता से भर जाएगा।
श्री सत्यनारायणजी की आरती | Shri Satyanarayan Ji Ki Aarti
Shri Satyanarayan Ji Ki Aarti:
ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा। सत्यनारायण स्वामी जन पातक हरणा॥
ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
रत्न जडि़त सिंहासन अद्भुत छवि राजै। नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजै॥
ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
प्रकट भये कलि कारण द्विज को दर्श दियो। बूढ़ा ब्राह्मण बनकर कांचन महल कियो॥
ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी। चन्द्रचूड़ एक राजा तिनकी विपत्ति हरी॥
ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
वैश्य मनोरथ पायो श्रद्धा तज दीन्हों। सो फल भोग्यो प्रभु जी फिर-स्तुति कीन्हीं॥
ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
भाव भक्ति के कारण छिन-छिन रूप धरयो। श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सरयो॥
ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
ग्वाल बाल संग राजा वन में भक्ति करी। मनवांछित फल दीन्हों दीनदयाल हरी॥
ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
चढ़त प्रसाद सवायो कदली फल, मेवा। धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा॥
ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
श्री सत्यनारायण जी की आरती जो कोई नर गावै। भगतदास तन-मन सुख सम्पत्ति मनवांछित फल पावै॥
ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
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🪔 ॐ जय लक्ष्मी रमणा आरती (श्री सत्यनारायण भगवान की आरती) भावार्थ
🕉️ ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी जन पातक हरणा॥
भावार्थ:
हे लक्ष्मी रमणा (माता लक्ष्मी के पति), सत्यनारायण भगवान! आप समस्त जीवों के पापों का नाश करने वाले हैं। हम आपकी जयजयकार करते हैं।
🕉️ रत्न जडि़त सिंहासन अद्भुत छवि राजै।
नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजै॥
भावार्थ:
आपका सिंहासन रत्नों से जड़ा हुआ है, जिसकी छटा अद्भुत है। भगवान नारद आपकी आरती कर रहे हैं और चारों ओर घंटा और शंख की ध्वनि गूंज रही है।
🕉️ प्रकट भये कलि कारण द्विज को दर्श दियो।
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर कांचन महल कियो॥
भावार्थ:
कलियुग में आप भक्तों की भलाई के लिए प्रकट हुए और एक द्विज (ब्राह्मण) को दर्शन दिए। बूढ़े ब्राह्मण का रूप धारण कर आपने उसे स्वर्ण महल का वरदान दिया।
🕉️ दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी।
चन्द्रचूड़ एक राजा तिनकी विपत्ति हरी॥
भावार्थ:
आपने एक गरीब भील (वनवासी) पर अपनी कृपा बरसाई और चन्द्रचूड़ नामक राजा की विपत्ति भी दूर कर दी। आप सब पर समान कृपा करने वाले दयालु प्रभु हैं।
🕉️ वैश्य मनोरथ पायो श्रद्धा तज दीन्हों।
सो फल भोग्यो प्रभु जी फिर-स्तुति कीन्हीं॥
भावार्थ:
एक वैश्य ने आपकी भक्ति से मनचाहा वर पाया, परंतु बाद में श्रद्धा छोड़ दी। जब उसे अपने कर्मों का फल भोगना पड़ा, तब उसने फिर से आपकी स्तुति कर क्षमा मांगी।
🕉️ भाव भक्ति के कारण छिन-छिन रूप धरयो।
श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सरयो॥
भावार्थ:
आपने भक्तों की भावना के अनुसार क्षण-क्षण में अनेक रूप धारण किए और जिन्होंने सच्ची श्रद्धा रखी, उनके कार्यों को आप ने पूर्ण किया।
🕉️ ग्वाल बाल संग राजा वन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीन्हों दीनदयाल हरी॥
भावार्थ:
राजा ने ग्वाल-बालों के साथ वन में आपकी भक्ति की, और आप दीनदयाल भगवान ने उसे मनचाहा फल प्रदान किया।
🕉️ चढ़त प्रसाद सवायो कदली फल, मेवा।
धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा॥
भावार्थ:
आपको केले, मेवा, धूप, दीप और तुलसी चढ़ाकर पूजा करने से आप अत्यंत प्रसन्न होते हैं। आप सत्य स्वरूप भगवान हैं।
🕉️ श्री सत्यनारायण जी की आरती जो कोई नर गावै।
भगतदास तन-मन सुख सम्पत्ति मनवांछित फल पावै॥
भावार्थ:
जो कोई भक्त श्रद्धा से श्री सत्यनारायण जी की यह आरती गाता है, वह शरीर और मन से सुखी होता है, उसे धन-सम्पत्ति और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।
🔱 श्री सत्यनारायणजी की आरती सार भाव:
यह आरती भक्त को सत्य, श्रद्धा और सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। श्री सत्यनारायण भगवान की आराधना से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है तथा हर संकट मिट जाता है।













