रविवार व्रत की कथा भगवान सूर्य नारायण की आराधना के लिए की जाती है। इस व्रत को करने से जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और आत्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।
भगवान सूर्य को साक्षात जीवनदाता कहा गया है, और रविवार का उपवास या व्रत करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होकर तेज, सफलता और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
Sunday Vrat Katha – रविवार व्रत की कथा
Sunday Vrat Katha(रविवार व्रत की कथा): प्राचीन काल में एक वृद्धा (बुढ़िया) रहती थी, जो अत्यंत श्रद्धालु और धर्मपरायण थी। वह प्रत्येक रविवार को सूर्य भगवान का व्रत रखती थी। रविवार के दिन वह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान करती, फिर अपने आंगन को गोबर से लीपकर स्वच्छ और पवित्र बनाती थी। इसके पश्चात वह पूरे विधि-विधान से सूर्य भगवान की पूजा करती, रविवार व्रत कथा सुनती और सूर्य देव को भोग लगाकर दिन में केवल एक बार भोजन ग्रहण करती थी।
सूर्य भगवान की कृपा से उस वृद्धा के जीवन में कभी कोई दुख या चिंता नहीं रही। धीरे-धीरे उसका घर धन, अन्न और सुख-संपत्ति से भरने लगा।
उस बुढ़िया की सम्पन्नता देखकर उसकी पड़ोसन को ईर्ष्या होने लगी। वृद्धा के पास अपनी गाय नहीं थी, इसलिए वह प्रतिदिन अपनी पड़ोसन के आंगन में बंधी गाय का गोबर लेकर आती और उसी से अपना आंगन लीपती थी।
एक दिन पड़ोसन ने ईर्ष्या वश अपनी गाय को घर के भीतर बांध लिया। रविवार के दिन गोबर न मिलने के कारण वृद्धा अपना आंगन नहीं लीप सकी। मन खिन्न हुआ — उसने सूर्य भगवान को भोग भी नहीं लगाया और दिनभर उपवास रखकर बिना कुछ खाए ही सो गई।
अगले दिन, सूर्योदय से पहले जब बुढ़िया की आँख खुली तो उसने देखा — उसके आंगन में एक सुंदर, सफेद गाय और उसका प्यारा बछड़ा खड़ा है। वह आश्चर्यचकित रह गई। उसने प्रेमपूर्वक गाय को चारा-पानी दिया और सूर्य देव को धन्यवाद दिया।
जब पड़ोसन ने बुढ़िया के आंगन में वह सुंदर गाय और बछड़ा देखा, तो उसकी जलन और भी बढ़ गई। तभी वह गाय सोने का गोबर करने लगी! यह देखकर पड़ोसन की आँखें आश्चर्य से फटी रह गईं।
इस प्रकार सूर्य भगवान ने अपने सच्चे भक्त की भक्ति का प्रतिफल दिया और दिखाया कि जो व्यक्ति श्रद्धा और निष्ठा से रविवार का व्रत करता है, उस पर सूर्य देव सदा अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
जब पड़ोसन ने बुढ़िया को अपने आंगन में नहीं पाया, तो उसने तुरंत वही सोने का गोबर उठाकर अपने घर ले गई और अपनी गाय के सामने रख दिया। उसके चालाकी और लालच के कारण कुछ ही दिनों में पड़ोसन बहुत धनवान हो गई। गाय प्रत्येक दिन सूर्योदय से पूर्व सोने का गोबर करती, और बुढ़िया के उठने से पहले पड़ोसन उसे चुपचाप अपने घर ले जाती।
इस प्रकार बहुत लंबे समय तक बुढ़िया को यह पता ही नहीं चला कि उसकी सेवा और भक्ति का फल उसका ही गोबर बनकर पड़ोसन के घर पहुंच रहा था। बुढ़िया अपनी दिनचर्या के अनुसार हर रविवार का व्रत करती रही, कथा सुनती रही और सूर्य भगवान की पूजा करती रही।
लेकिन सूर्य भगवान ने अपनी दृष्टि से देखा कि उनकी भक्ति का फल किस प्रकार अन्यायपूर्ण रूप से छिन रहा है। उन्होंने आकाश में तेज आंधी और तूफान भेजा। आंधी का प्रकोप देखकर बुढ़िया ने तुरंत सोचा कि उसे अपने आंगन की रक्षा करनी चाहिए। उसने गाय को अपने घर के भीतर बांध लिया। अगले दिन सुबह उठकर बुढ़िया ने देखा कि गाय ने फिर से सोने का गोबर किया है। यह देखकर बुढ़िया अत्यंत आनंदित हुई और समझ गई कि अब उसका भाग्य स्वयं उसके हाथ में सुरक्षित है।
बुढ़िया ने नियमित रूप से अपनी भक्ति और व्रत के साथ ही गाय की सेवा भी की। कुछ ही दिनों में वह अत्यंत संपन्न हो गई। उसकी सम्पन्नता देखकर पड़ोसन और भी अधिक ईर्ष्यालु हो गई। उसने अपने पति की सहायता से बुढ़िया की गाय और बछड़े को चोरी-छिपे नगर के राजा के पास भेज दिया।
जब राजा ने उस सुंदर गाय और बछड़े को देखा, तो अत्यंत प्रसन्न हुआ। और जैसे ही सुबह उसने सोने का गोबर देखा, उसका आश्चर्य सीमा से बाहर चला गया। यह देखकर वह सोच में पड़ गया कि यह असाधारण शक्ति किसकी भक्ति का परिणाम है।
इधर सूर्य भगवान ने अपनी कृपा और करुणा दिखाते हुए बुढ़िया की भक्ति को देख कर राजा को स्वप्न में कहा:
“राजन! तुरंत यह गाय और बछड़ा बुढ़िया को लौटा दो, अन्यथा तुम पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ेगा और तुम्हारा महल नष्ट हो जाएगा।”
स्वप्न से भयभीत राजा ने तुरंत प्रातः उठकर गाय और बछड़े को बुढ़िया के घर लौटाया। उसने बुढ़िया से अपनी गलती के लिए प्रचुर धन और सम्मान के साथ क्षमा मांगी। वहीं राजा ने पड़ोसन और उसके पति को उनकी दुष्टता और लालच के लिए उचित दंड दिया।
राजा ने इसके बाद पूरे राज्य में घोषणा करवाई कि सभी स्त्री-पुरुष रविवार का व्रत करें। Sunday Vrat के पालन से सभी घरों में धन-धान्य, सुख-शांति और स्वास्थ्य की वृद्धि हुई। राज्य में चारों ओर खुशहाली फैल गई, और लोग न केवल सांसारिक सुखों से परिपूर्ण हुए बल्कि शारीरिक और मानसिक कष्टों से भी मुक्त हो गए।
इस प्रकार यह कथा हमें यह शिक्षा देती है कि सच्ची भक्ति, निष्ठा और नियम के पालन से जीवन में समृद्धि और खुशहाली आती है, और सूर्य भगवान अपनी कृपा से अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
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~~ रविवार व्रत की आरती ~~
आरती पाठ:
सूर्य देव महा तेजस्वी, जीवनदाता,
सर्वशक्तिमान, आप ही हमारे रक्षक।
सोनारथ रथ के स्वामी, सात घोड़ों वाले,
दीनानाथ, अज्ञान नाशक, संकट हरने वाले।
जय देव सूर्य, जय देव सूर्य,
भक्तों की पीड़ा दूर करो, कृपा दृष्टि बरसाओ।
सूर्य पुत्र अरुण के साथी, दिन और उजाले के स्वामी,
तपस्या का फल देने वाले, ज्ञान और स्वास्थ्य के प्रदाता।
ॐ सूर्याय नमः, ॐ सूर्याय नमः,
रविवार व्रत का फल दें, धन, यश, और आरोग्य बढ़ाएं।
जय सूर्य, जय सूर्य, जय सूर्य!
रविवार व्रत की विधि (Vrat Vidhi)

- रविवार को सूर्योदय से पूर्व स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- आंगन को गोबर या साफ जमीन से पवित्र करें।
- सूर्य भगवान की पूजा करें — ताम्बे के पात्र में जल, लाल फूल, गुड़, चंदन और अक्षत अर्पित करें।
- सूर्य देव का मंत्र जपें: “ॐ घृणिः सूर्याय नमः” (108 बार)।
- पूरे दिन फलाहार या हल्का भोजन करें।
- सूर्यास्त के बाद किसी वृद्ध या ब्राह्मण को भोजन कराकर दक्षिणा दें।
रविवार व्रत की पूजन सामग्री (Puja Samagri)
- ताम्बे का लोटा
- लाल कपड़ा
- लाल फूल
- गुड़
- चंदन
- अक्षत
- धूप और दीपक
- सूर्य देव की प्रतिमा या चित्र
व्रत कब से शुरू करें और कब तक रखें
- व्रत किसी शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से प्रारंभ करें।
- व्रत 12 या 21 रविवार तक लगातार रखा जा सकता है।
- इच्छानुसार एक वर्ष तक भी किया जा सकता है।
रविवार व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं
रविवार व्रत में खा सकते हैं:
- फल (केला, सेब, नारियल)
- दूध, दही
- साबूदाना खिचड़ी या व्रत आटा (सिंघाड़ा/कुट्टू)
रविवार व्रत में नहीं खाएं:
- नमक और अनाज युक्त भोजन
- मांस, प्याज, लहसुन
- शराब या किसी प्रकार का नशा
सूर्य देव मंत्र (Surya Mantra)
मुख्य बीज मंत्र:
“ॐ घृणिः सूर्याय नमः”
दैनिक जप मंत्र:
“जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥”
रविवार व्रत के लाभ
रविवार व्रत करने से सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत न केवल जीवन में ऊर्जा और सकारात्मकता लाता है, बल्कि शरीर और मानसिक स्वास्थ्य को भी मजबूत बनाता है। नियमित व्रत रखने से थकान और तनाव दूर होता है, आत्मबल बढ़ता है और जीवन में साहस एवं आत्मविश्वास आता है। साथ ही, घर में सुख-समृद्धि और आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है।
सूर्य देव की भक्ति और व्रत के माध्यम से जीवन के संकट कम होते हैं, नेत्र संबंधी और अन्य शारीरिक कष्टों में राहत मिलती है। यह व्रत परिवार में सौहार्द और खुशहाली लाने में सहायक होता है। नियमित रविवार व्रत से भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति भी होती है, जिससे जीवन में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है।
रविवार व्रत निष्कर्ष
यह कथा और व्रत हमें सिखाते हैं कि भक्ति, श्रद्धा और नियम पालन से जीवन में समृद्धि, सुख और शांति आती है। सूर्य भगवान अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनके जीवन को आनंद और संपन्नता से भर देते हैं।
सभी भक्तों के जीवन में सूर्य देव की कृपा बनी रहे, स्वास्थ्य, सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त हो।
।। ॐ सूर्याय नमः।।














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