
Tulsi Ji Ki Aarti: तुलसी माता को वैष्णव परंपरा में अत्यंत पवित्र माना गया है। प्रातः और सायंकाल तुलसी जी की आरती करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बढ़ती है। यह आरती भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का उत्तम साधन मानी जाती है। श्रद्धा और भक्ति से तुलसी माता की आरती करने से जीवन के समस्त कष्ट दूर होकर परिवार में सौभाग्य और समृद्धि का वास होता है।
Tulsi Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi | तुलसी माता की आरती पाठ
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।। – मैय्या जय तुलसी माता।।
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता। -मैय्या जय तुलसी माता।।बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता। – मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता। -मैय्या जय तुलसी माता।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता। – मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी। प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता। मैय्या जय तुलसी माता।।
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥ – मैय्या जय तुलसी माता।।
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🌿 तुलसी माता आरती भावार्थ सहित | Tulsi Ji Ki Aarti with Meaning in Hindi
Tulsi Ji Ki Aarti Lyrics, तुलसी माता की आरती पाठ
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
हे तुलसी माता! आपकी जय हो, आप सबकी आराध्या और पूजनीय देवी हैं।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।
आप पूरे जगत को सुख देने वाली और सबको वरदान देने वाली माता हैं।
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
आप हर योग, रोग और दुःख से परे हैं — आपकी भक्ति से तन-मन के सभी कष्ट मिट जाते हैं।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।
आप अपनी पवित्र धूल से भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें संसार के बंधनों से मुक्त करती हैं।
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
आप धर्म की पुत्री, श्यामवर्णा और लोकजीवन में पूजनीय देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
जो भक्त श्रद्धा से आपकी सेवा करता है, वह भगवान विष्णु का प्रिय बनकर जीवन के समुद्र से पार हो जाता है।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
आप भगवान हरि के मस्तक पर शोभित हैं और तीनों लोकों में वंदनीय हैं।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
आप पापी और पतित जीवों को तारने वाली देवी के रूप में प्रसिद्ध हैं।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
आपने वन में जन्म लिया और फिर दिव्य रूप में मानव लोक का कल्याण करने आईं।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपत्ति पाता।
आपकी कृपा से ही मानव लोक को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।
आप भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं, आपका श्यामवर्ण और कोमल रूप मनमोहक है।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
भगवान विष्णु का आपके प्रति प्रेम अद्भुत और दिव्य है, जो भक्ति का आदर्श उदाहरण है।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।
हे माँ तुलसी! हमारी सभी विपत्तियाँ हर लो और हम पर अपनी कृपा बनाए रखो।
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
हे माँ तुलसी! आपकी बारंबार जय हो — आप ही संसार की कल्याणकारी और शुभदायिनी माता हैं।
🌸 तुलसी माता आरती का महत्व | Importance of Tulsi Mata Aarti
तुलसी माता की आरती करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का वास होता है। यह आरती भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त करने का सरल और प्रभावशाली माध्यम है। श्रद्धा से तुलसी पूजन करने पर पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति और सौभाग्य बढ़ता है।
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